पश्चिम बंगाल में खडग़पुर स्टेशन से लगभग 120 किमी.की दूरी पर पश्चिम मेदिनीपुर जिले की झाडग़्राम तहसील के जामबनी प्रखंड अंतर्गत चिल्कीगढ़ स्थित है प्राचीन कनक दुर्गा। इस मंदिर की स्थापना 1749 ई. में टिहार दीपगढ़ रिसायत के राजा गोपीनाथ सिंह मत्तगज ने तत्कालीन जामबनी परगना के चिल्कीगढ़ में अश्रि्वन माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी की थी।
रानी गोविंदमनी के स्वर्ण कंगन से मां की चतुर्भुज प्रतिमा बनाई गई थी। खास बात यह रही की यहां पर अश्व को देवी का वाहन बनाया गया था।
इसके पीछे यह कथा है कि- राजपरिवार की कन्या सुवर्णमनी का धालभूमगढ़ परगना के राजा सप्तम जगन्नाथ देवधवलदेव के साथ विवाह हुआ और उनके पुत्र कमलाकांत देव धवलदेव के वंशज आज भी मंदिर में पूजा का आयोजन करते आ रहे हैं, जबकि मंदिर में पूजा का दायित्व पुजारी रामचंद्र षाडंगी के वंशज निभा रहे हैं।- प्रतिवर्ष नवरात्र के दौरान महानवमी को दुर्गोत्सव को देखने के लिए प. बंगाल के अलावा झारखंड एवं ओडि़शा से भक्त मां के दर्शन को आते हैं। इस दिन मां के चरणों में भैंस की बलि चढ़ाई जाती है। आम दिनों वैसे तो प्रतिदिन लगभग 50-60 भक्त ही दर्शन को आते हैं, लेकिन महानवमी को हजारों की भीड़ उमड़ पड़ती है। ट्रेन अथवा सड़क मार्ग से बस एवं ट्रेकर द्वारा झाडग़्राम जाना होता है, जहां से कनक दुर्गा मंदिर की दूरी 18 किमी. है। झाडग़्राम से बस एवं ट्रेकर की सुविधा है। कनक दुर्गा मंदिर ट्रस्ट द्वारा संचालित यहां तीन गेस्ट हाउस हैं। इसके अलावा झाडग़्राम में स्थित होटलों में भी ठहरा जा सकता है, जिनका टैरिफ 150-500 रु. के बीच प्रतिदिन पड़ता है।
साभार : दैनिक जागरण
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