जैनियों के प्रसिद्ध तीर्थ स्थल पारसनाथ [सम्मेत शिखर ]अपने धार्मिक महत्व और प्राकृतिक सौंदर्य के कारण देश-विदेश के श्रद्धालुओं के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। प्रति वर्ष हजारों की संख्या में विदेशी पर्यटक आते हैं। जैन धर्म के 23 वें तीर्थंकर पाश्र्र्वनाथ व अन्य 19 तीर्थंकरों के निर्वाण स्थल के कारण यह स्थल पूजनीय रहा है। पारसनाथ पहाड़ी पर स्थित कई मंदिर 2000 वर्ष पुराने हैं।
कैसे पहुचें पारसनाथ-
दिल्ली- हावड़ा ग्रैंड कॉर्ड स्थित पारसनाथ रेलवे स्टेशन से लगभग 15 किमी दूर पारसनाथ पहाड़ है। जिला मुख्यालय गिरिडीह से इसकी दूरी लगभग 40 किमी है। यहां आने-जाने के लिए सड़क मार्ग एक मात्र माध्यम है। मधुबन में सैलानियों के ठहरने के लिए कई धर्मशाला, होटल व सामुदायिक भवन हैं। सरकारी स्तर पर यहां पर्यटन विभाग की ओर से भी रेस्ट हाउस का निर्माण किया गया है।
पारसनाथ पर्वत की यात्रा साहस, रोमांच तथा धार्मिक भाव से परिपूर्ण है। समुद्र तल से लगभग 1365 मीटर ऊंचा यह पर्वत गिरिडीह और धनबाद जिले के लगभग 1687 एकड़ क्षेत्रफल में फैला है। जैन तीर्थंकरों के निर्वाण स्थल होने के कारण पर्वत की महत्ता और भी बढ़ जाती है। समुद्र तल से ऊंचाई पर होने के कारण इस चोटी पर नीचे की तुलना में छह से आठ डिग्री तापमान कम हो जाता है।
साभार : दैनिक जागरण
अच्छी जानकारी । बांटने के लिए शुक्रिया
ReplyDeleteधन्यवाद अजय जी.
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