Sunday, May 13, 2012

बाबा तारकनाथ धाम चैती मेला


बाबा तारकनाथ धाम चैती मेला

baba-taraknathआजादी के बाद पश्चिम पाकिस्तान से आने वाले बंगाली विस्थापितो को भारत के विभिन्न क्षेत्रों में बसाया गया। इस वक्त ऐसे लगभग 6 करोड़ लोग 18 प्रदेशों में रह रहे हैं, जिनमें उधम सिंह नगर के दिनेशपुर, रुद्रपुर, तथा शक्तिफार्म में रहने वाले बंगाली भी शामिल हैं। इन विस्थापितों ने विगत 65 वर्षो में बंजर जमीन को आबाद करके उसे हरा-भरा बनाया, लेकिन उन्हें जमीन का मालिकाना हक नहीं दिया गया। तब से आज तक इस अधिकार के लिए विस्थापित बंगाली बंगाली कल्याण समिति, निखिल भारत उदवास्तु समन्वय समिति आदि संगठनों तहत आंदोलन कर रहे है। दिल्ली के जंतर-मंतर में भी धरना प्रदर्शन हो चुके हैं। इस बार उत्तराखंड विधानसभा में बंगाली बहुल सितारगंज क्षेत्र से भाजपा से टिकट पर किरन मंडल के जीतने से इन विस्थापितों में कुछ आशा जगी है।
बंगाली समाज में होने वाले विशिष्ट धार्मिक-सांस्कृतिक आयोजनों में दिनेशपुर में महावारुणि स्नान महोत्सव, रुद्रपुर में अटरिया मेला और शक्तिफार्म में बंगाल के हुगली जिला के तारकेश्वर धाम की तर्ज पर चैत के महीने में होने वाला बाबा तारकनाथ मेला मुख्य हैं। शक्तिफार्म में लगभग 30 छोटे बड़े गाँव हैं। टैगोर नगर में दुर्गा पूजा, बैकुण्ठपुर में कृष्णा पूजा नाम संकीर्तन, गुरुग्राम में हरीचाँद जन्मोत्सव प्रसिद्ध हैं। वैसे प्रत्येक गाँव में पूजा-अर्चना विधि विधान के साथ होती रहती है। बाबा तारकनाथ धाम सुरेन्द्रनगर में शिव पूजा सबसे प्रसिद्ध है। 65 साल पहले विस्थापन के बाद बंगालियों के यहाँ बसते समय ही सुरेन्द्र नगर में एक झोंपड़ी में यह पूजा शुरू हो गई थी। तब दिलीप राय जी मुख्य भूमिका में थे और उन्होंने संकल्प लिया था कि जब तक मंदिर नहीं बन जाता, तब तक मैं पत्तल में ही भोजन करूँगा। यहाँ एक महीने पहले से ही भक्तों का ताँता लग जाता है। शिव काँवर वाले गौमुख हरिद्वार से गंगा जल पद यात्रा कर ‘जय बम भोले’ के उदघोष के साथ बाबा तारकनाथ धाम में जल चढ़ाते हैं। बाबा तारकनाथ धाम के चारों ओर और कई मन्दिर हैं, जिनमें काली मंदिर, शेराँवाली, शनि महाराज, लोकनाथ, मनसा देवी आदि हैं।
भक्तों की टोली प्रत्येक वर्ष यहाँ रमती है और महीने भर शिव आराधना में लीन रहती है। एक महीने संन्यासियों की तरह उपवास कर शाम को खाना खाते है। सात संन्यासियों में मूल संन्यासी विमल हालदार हैं। मन्दिर के पुजारी पहले पागल बक्सी पंडा और दुखी राम पंडा हुआ करते थे । आज वह गद्दी दुखी राम पंडा सम्भाल रहे हैं। मोना विश्वास भी प्रमुख पुजारियो में से एक हैं। पूजा के दौरान चड़क पूजा, सांस्कृतिक कार्यक्रम, जात्रा, गान और रंगारंग प्रोग्राम होते हैं।
सधन्यवाद 
BY : अजय मलिक

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