हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में काठगढ़ महादेव का मंदिर स्थित है। इस धार्मिक स्थल पर दो नदियों का संगम होता है।यह विश्व का एकमात्र मंदिर है जहां शिवलिंग ऐसे स्वरुप में विद्यमान हैं जो दो भागों में बंटे हुए हैं! अर्थात मां पार्वती और भगवान शिव के दो विभिन्न रूपों को ग्रहों और नक्षत्रों के परिवर्तित होने के अनुसार इनके भागों के मध्य का अंतर घटता-बढ़ता रहता है।ग्रीष्म ऋतु में यह स्वरूप दो भागों में बंट जाता है और शीत ऋतु में पुन: एक रूप धारण कर लेता है।
शिवलिंग का अर्थ है शिव यानी परमपुरुष का प्रकृति के साथ समन्वित-चिह्न। काठगढ़ महादेव शिवलिंग में भगवान शंकर के अद्र्धनारीश्वर श्री रुप के साक्षात दर्शन होते हैं। यह शिवलिंग अष्टकोणीय काले भूरे रंग रुप का लगभग 7 फुट और पार्वती माता के रुप शिवलिंग का हिस्सा थोड़ा छोटा होकर करीब 6 फुट का है और इनकी गोलाई लगभग 5 फुट है। भगवान शिव का यह स्वरूप जितना विचित्र है, उतना ही आकर्षक भी।
इस सृष्टि के आधार और रचयिता यानी स्त्री-पुरुष शिव और शक्ति के ही स्वरूप हैं। इनके मिलन और सृजन से यह संसार संचालित और संतुलित है। दोनों ही एक-दूसरे के पूरक हैं। नारी प्रकृति है और नर पुरुष। प्रकृति के बिना पुरुष बेकार है और पुरुष के बिना प्रकृति। दोनों का अन्योन्याश्रय संबंध है।अर्धनारीश्वर शिव इसी पारस्परिकता के प्रतीक है।
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