पवित्र शिवलिंगम |
पवित्र कन्दरा |
कश्मीर की खूबसूरत लिद्दर घाटी के सुदूर किनारे पर एक संकरी खाई में बसे हैं बाबा अमरनाथ। गुफा में बर्फ के लिंग के रूप में स्थित महादेव शिव का यह स्थान समुद्र तल से 3888 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। बर्फ का यह शिवलिंग पूरी तरह प्राकृतिक है और कहा जाता है कि चंद्रमा के घटने-बढ़ने के साथ ही यह शिवलिंग भी घटता-बढ़ता है। मुख्य लिंग के अगल-बगल ही बर्फ के दो और शिवलिंग हैं जो देवी पार्वती और गणेश के प्रतीक हैं। इस गुफा के धार्मिक-पौराणिक इतिहास के बारे में कई कथाएं प्रचलित हैं।
साल के ज्यादातर समय यह जगह बर्फ से घिरी रहती है और लिहाजा यहां पहुंचना लगभग नामुमकिन सा होता है। गर्मियों में बर्फ के पिघलने के बाद यहां जाने का रास्ता खुलता है। हर साल ज्येष्ठ-श्रावण के महीनों में यहां यात्रा होती है। हर साल यात्रा की अवधि भी कम ज्यादा होती रहती है। यात्रा की अवधि, इंतजामों और यात्रियों की मौत को लेकर पिछले कई सालों से यात्रा चर्चा में रही है। वैष्णो देवी की ही तरह अमरनाथ के लिए भी अलग से श्राइन बोर्ड बना हुआ है जो यात्रा के सारे इंतजाम देखता है। इस साल यात्रा 28 जून से शुरू होगी और कुल 55 दिन तक चलेगी। रक्षाबंधन के दिन 21 अगस्त को छड़ी मुबारक के अमरनाथ पहुंचते ही यात्रा संपन्न हो जाएगी। पिछले कुछ सालों में यात्रियों की मौत का मसला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचने के बाद इस बार किसी भी व्यक्ति का हेल्थ सर्टीफिकेट के बगैर यात्रा के लिए रजिस्ट्रेशन नहीं किया जाएगा। यात्रा के लिए हर व्यक्ति को रजिस्ट्रेशन कराना जरूरी है और इस साल के लिए रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया 18 मार्च से पहले ही शुरू हो चुकी है। रजिस्ट्रेशन की एक तय प्रक्रिया है। साथ ही हर रूट पर किसी भी दिन जाने वाले यात्रियों की भी एक तय संख्या है। रजिस्ट्रेशन का जिम्मा देशभर में कई बैंकों के पास है और उनके पास हर रूट व हर तारीख का एक कोटा है। इसके अलावा इस साल यह भी तय किया गया है कि 13 वर्ष से कम और 75 वर्ष से ज्यादा उम्र के किसी भी व्यक्ति को इस साल यात्रा पर जाने की इजाजत नहीं होगी। इसी तरह छह हफ्ते या उससे ज्यादा के गर्भ वाली किसी महिला को भी यात्रा पर नहीं जाने दिया जाएगा।
कैसे जाएं
अमरनाथ यात्रा जाने के दो रास्ते हैं- पहला, पहलगाम से होकर और दूसरा सोनमर्ग से होकर। दोनों ही रास्तों के लिए पहले ट्रेन, बस अथवा हवाई जहाज से जम्मू या श्रीनगर पहुंचना होता है। उसके बाद आप पहलगाम या सोनमर्ग जा सकते हैं। उसके बाद अमरनाथ गुफा तक का आगे का सफर पैदल, खच्चर पर या पालकी में किया जा सकता है। पहलगाम का रास्ता बेस कैंप चंदनवाड़ी, पिस्सू टॉप, शेषनाग व पंजतरणी होते हुए गुफा तकपहुंचता है। जबकि सोनमर्ग का रास्ता बालटाल से सीधा गुफा तक ले जाता है। पहलगाम वाले रास्ते में आने-जाने में पांच दिन का वक्त लग जाता है। वहीं बालटाल से गुफा तक एक दिन में पहुंचा जा सकता है। 14 किलोमीटर का यह रास्ता खड़ी चढ़ाई वाला है। फिट लोग इस रास्ते पर बालटाल से जल्दी चढ़ाई शुरू करके उसी दिन दर्शन करके नीचे लौट आते हैं। इस रास्ते पर बालटाल और पहलगाम वाले रास्ते पर चंदनवाड़ी से आगे किसी भी व्यक्ति को यात्रा परमिट और स्वास्थ्य प्रमाणपत्र के बगैर जाने की इजाजत नहीं है। वहीं यात्रा के लिए हेलीकॉप्टर की सुविधा भी है। यात्रा के दौरान बालटाल और पहलगाम, दोनों ही जगहों से पंजतरणी तक होलीकॉप्टर की उड़ानें उपलब्ध रहेंगी। बालटाल से पंजतरणी तक का इकतरफा किराया 1500 रुपये और पहलगाम से पंजतरणी तक का इकतरफा किराया 2400 रुपये तय किया गया है। हेलीकॉप्टर के टिकट के लिए ऑनलाइन बुकिंग कराई जा सकती है। जो हेलीकॉप्टर से अमरनाथ जाना चाहते हैं, उन्हें अलग से रजिस्ट्रेशन कराके यात्रा परमिट भी लेने की जरूरत नहीं है। हेलीकॉप्टर का टिकट उसके लिए पर्याप्त है।
पहलगाम और सोनमर्ग, दोनों ही स्थानों पर रुकने के लिए कई होटल व रिजॉर्ट हैं। वहीं, आगे यात्रा मार्ग पर यात्रियों के लिए कैंप व खाने-पीने के पर्याप्त इंतजाम होते हैं। मणिगाम, बालताल व पंजतरणी में डेढ़ सौ से लेकर पांच सौ रुपये तक में रुकने की सुविधा मिल जाती है। यात्रा के दौरान खच्चरों व पालकियों के रेट भी तय हैं। आपको बस मौसम व थकावट से जूझने के लिए उत्साह, जीवट, शारीरिक क्षमता और जरूरी कपड़े-दवाइयां चाहिए होते हैं।
साभार : दैनिक जागरण
साभार : दैनिक जागरण
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